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Salakhen – Meri Atmakatha (सलाखें – मेरी आत्मकथा) by Parshuram Sharma (Hardbound)

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सलाखें 

एक मील पत्थर की आत्मकथा 

बाज़, इन्का, आग सीरीज़ जैसे तीन सौ उपन्यासों के रचयिता परशुराम शर्मा जिन्होंने सोलह वर्ष की आयु से उपन्यास लिखना प्रारंभ किया और अब तक ये सफर जारी है । नागराज, अंगारा, भेड़िया, बाज, मिस्टर इंडिया, मेघदूत जैसे धुरंधर कॉमिक हीरो के रचयिता जिन्हें कॉमिक्स जगत की बादशाहत प्राप्त है । जिन्होंने फिल्म जगत में कई धारावाहिक व फिल्मों की कथा-पटकथा लिखीं । सैकड़ों छोटी कहानियाँ, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं । परशुराम शर्मा जो संगीतकार, गायक, गीतकार और अभिनेता भी हैं ।

ऐसी शख़्सियत पहली बार खुद आपके सामने अपने इस रोमांचकारी जीवन की दास्तान पेश कर रही है ।

Binding: Hardbound

Pages: 320

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Description

सलाखें

एक मील पत्थर की आत्मकथा

बाज़, इन्का, आग सीरीज़ जैसे तीन सौ उपन्यासों के रचयिता परशुराम शर्मा जिन्होंने सोलह वर्ष की आयु से उपन्यास लिखना प्रारंभ किया और अब तक ये सफर जारी है । नागराज, अंगारा, भेड़िया, बाज, मिस्टर इंडिया, मेघदूत जैसे धुरंधर कॉमिक हीरो के रचयिता जिन्हें कॉमिक्स जगत की बादशाहत प्राप्त है । जिन्होंने फिल्म जगत में कई धारावाहिक व फिल्मों की कथा-पटकथा लिखीं । सैकड़ों छोटी कहानियाँ, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं । परशुराम शर्मा जो संगीतकार, गायक, गीतकार और अभिनेता भी हैं ।

ऐसी शख़्सियत पहली बार खुद आपके सामने अपने इस रोमांचकारी जीवन की दास्तान पेश कर रही है ।

जेल के सलाखों के पीछे इस नाचीज़ लेखक का हुआ जन्म

लोग जब आत्मकथा लिखते हैं तो आमतौर पर अपने जीवन के नकारात्मक प्रसंगों को उजागर करने से कतराते हैं। लेकिन मैं परशुराम शर्मा बड़े बिंदास अंदाज में आज अपनी आत्मकथा की शुरुआत कर रहा हूँ, जो आपको इमोशनल ड्रामा के पर्दे पर चलचित्र की तरह साकार करेगी। तब आपको अहसास होगा कि मैं सिर्फ वही नहीं हूँ जिसे आपने विगत पचपन वर्षों से पढ़ा है। मैं कुछ और भी हूँ जिसे आपने नहीं पढ़ा। मैं खुद में एक रहस्यमयी किताब हूँ, जिसमें मोहब्बत की चाशनी भी है, अंतरंग प्रेम-प्रसंगों के महकते गुलाब भी हैं, दुश्मन भी हैं, जोखिम भी है, दौड़ती-काँपती जिंदगी के अनछूये पहलू भी हैं। मेरा एक संसार भी है। अपना बनाया संसार, जिसका रचयिता मैं खुद हूँ। मेरे आँसू भी है, प्रताड़ना भी हैं, डर भी है, गम भी है, खुशी भी है, अपमान भी है, यशगान भी है। हर मोड़ पर सलाखें है, जिनके पीछे ये नाचीज़ अदना-सा लेखक कैद है। पहले भी कैद था, आज भी कैद है और तब तक कैद रहेगा जब तक पंछी उड़ नहीं जाता। यकीनन मैं अगले जन्म में भी आऊँगा और जिसके गर्भ में मैं जन्म लूँगा मैंने उसे अभी से चुन लिया है। मैं लौटकर आऊँगा, हारी हुई बाजियों से सबक लेकर आऊँगा। मेरी यह जिंदगी बार-बार हारकर सबक लेने के लिए है। अब मुझे मेरे विज़न सामने दिखाई देता है। वह विज़न, वह सपना जरूर पूरा होगा, चाहे जितने भी जन्म लेने पड़ें। अंत में मैं यह बताना अपना सबसे पहला फ़र्ज़ समझता हूँ कि जब मेरी पहली पुस्तक छपी तो मैं जेल की सलाखों में सजा काट रहा था।

Additional information

Weight 350 kg
Dimensions 23 × 13 × 5 cm

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