Description
अगिया बेताल का बेटा
लेखक – परशुराम शर्मा
पृष्ठ – 132
यह आग धरती पर दौड़ती है, आकाश में उड़ती है, धरती में समा जाती है और इसका वजूद इंसानी रूप है परंतु इसे मनुष्य साधारण दृष्टि से नहीं देख सकता जबकि इनका पूरा साम्राज्य इसी धरती पर है जो अदृश्य हैं, जैसे हवा है पर अदृश्य है । यदि बेतालों के इस संसार में उतरना है तो जान हथेली पर रखकर जाना होगा। यह अगिया बेताल की खौफ़नाक दुनिया है।
‘अगिया बेताल’ में आपने पढ़ी एक डॉक्टर के तांत्रिक बनने की कहानी। अब जानते हैं कि अगिया बेताल के इंसान से जन्मे बेटे के कारनामे कैसे थे।
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