Description
क्या कोई अपने अपहर्ताओं से छूटने के लिये उल्टे उन्हीं से फिरौती वसूल सकता है? नहीं न! क्या कोई कवि अपनी कविता न पढ़ने का भी मनमाना पारिश्रमिक वसूल सकता है? नहीं न! तो भाई! हमारे कवि बौड़म से ही कुछ सीख लीजिए… वह बकैत है, लेकिन चतुर व होशियार है! किसी भी परिस्थिति से निपटने को तैयार है! उसकी कविता ही उसका हथियार है. जो भी उससे पंगा लेगा, उसका बंटाधार है!
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