Description
मृत्युजीवी : विनाश और सृजन
लेखक – आकाश पाठक
पृष्ठ : 324
युद्ध के लिए आमने सामने खड़ी हैं दो सेनायें!
कौस्तुभ की सहायता से उत्तराँचल की सेना प्रसान नगर के युद्ध में विजयी हो चुकी है, और अब उनका लक्ष्य है दक्षिणांचल की सेना को पराजित करना। परंतु जिस सेना में आदिपशु को नियंत्रित करने वाला शिखी है और दुर्दांत जल दस्यु हैं, क्या उनपर विजय पाना संभव है?
क्या आत्म संदेह से ग्रसित कौस्तुभ और अपने अतीत के रहस्य में उलझे अरिदमन उत्तराँचल की सहायता कर पायेंगे?
शतबाहु को प्राप्त हो चुकी है एक ऐसी शक्ति जिसने उसे बना दिया है मृत्युजीवी; अब उसे मारना संभव नहीं। वर्षों पूर्व उसने अखंड एकद्वीप का जो स्वप्न देखा था, वह अब पूर्ण होने वाला है।
यह कथा है उस युद्ध की जिसने एकद्वीप के पुनर्स्थापना की नींव रखी।
छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी अविस्मरणीय गाथा ‘सव्यसाची श्रृंखला’ का तीसरा और अंतिम भाग।
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