Description
जब आपके घर किसी नवजात शिशु का जन्म होता है तो आपकी प्रतिक्रिया इस प्रकार होती है– लड़का उत्पन्न होने पर खुशी, लड़की पैदा होने पर रंज और अगर दुर्भाग्य से इन दोनों के बीच की संतान होती है तो आप इस तरह मातम मनाते हैं जैसे कोई मरा हुआ बच्चा पैदा होता है । इस बीच की चीज को हमारे समाज में हिजड़ा कहा जाता है । आपके यहाँ कोई भी खुशी का अवसर हो तो यह हिजड़े ढोल पिटते हैं, हथेलियाँ चटकाते, कूल्हे मटकाते आपके आँगन में बधाई देने पहुँच जाते हैं । आप दूसरों की बधाइयों का दिल खोलकर धन्यवाद अदा करते हैं । परन्तु इन्हें दिल दहलाकर दुत्कार देते हैं । उस वक्त आप यह नहीं सोचते, यह वही मरी हुई संतान है, यही वही पाप है जो आपके यहाँ पैदा हुआ और सड़कों पर ढोल पीटने के लिए छोड़ दिया गया । समाज में इनका कोई सम्मान नहीं, धर्म इनका कोई नहीं, अपमान की फांस पर जिन्दा रहने वाले ये प्राणी आखिर क्या हैं ? क्या ये इंसान नहीं हैं ? क्या इनके भाई, बहन, माँ, बाप नहीं हैं ?
सबसे खूबसूरत लड़की, सबसे आकर्षक मर्द और सबसे बड़ा गुंडा, जब यह तीनों ही एक शख़्सियत के रूप में आपके सामने आ जाए तो यकीनन आपके पाँवों तले से जमीन सरक जायेगी ।
समाज के एक अनछुए मुद्दे पर परशुराम शर्मा का महान विशेषांक
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