Description
राख
लेखक – जितेन्द्र नाथ
पृष्ठ : 216
प्रेम नगर में एक के बाद एक होती हुई मौत की अबूझ पहेली के चक्रव्यूह में उलझा हुआ था इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण, जिसे सबूत के नाम पर हासिल थी सिर्फ ‘राख’ । एक ऐसी कहानी जिसमें मौत के नाच के बीच दबा था एक ऐसा अनसुलझा रहस्य जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था । जुर्म और सबूतों के बीच कशमकश की रोमांचक दास्तान ‘राख’
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